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अरबी (घुइयां) के गुण



जलना- जले हुए स्थान पर अरबी पीसकर लगाने से फेफोले नही पड़ते और जलन भी समाप्त हो जाती है।
सूखी खासी- सूखी खासी में अरबी की सब्जी खाने से कफ पतला होकर बाहर निकल जाता है।
हृदय रोग- बड़ी इलायची, काली मिर्च, काला जीरा, अदरक आदि से तैयार अरबी की सब्जी कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने रहने से हृदय दौर्बय, रक्ताल्पाता (खून की कमी) व अन्य हृदय रोग जाते रहते है।
बर्र या ततैया का काटना- दंशित स्थान पर अरबी काटकर तथा घिसकर लगा देनी चाहिए। इससे विष कम हो जायेगा और सुजन भी कम हो जायेगी।
वायु का गोला- अरबी के पौधे के डन्ठल को पत्तों सहित वाष्प (भाप) पर उबालकर निचोंड लें और उसमें ताजा घी मिला 3-4 दिन तक पिलाते रहने से वात गुल्म में लाभ होता है।
गंजापन- अरबी (घुईया काली) के रस का कुछ दिनों तक नियमित सिर पर मर्दन करने से केशों का गिरना रूक जाता है। तथा नयें केश भी उग आतें है।
रक्तार्श- अरबी का रस कुछ दिनों तक पिलाना हितकर रहता है।

अरबी ठंडी और तर होती है। गुर्दे के रोग अरबी खाने से दूर होते हैं। उच्च रक्त-चाप अरबी खाने से कम होता है। त्वचा का सूखापन और झुर्रियाँ भी अरबी दूर करती है। अरबी की सब्जी में दालचीनी, गरम मसाला और लौंगें डालें। जिनके गैस बनती हो, गठिया और खाँसी हो उनके लिये अरबी हानिकारक है। ह्रदय के रोगी को अरबी की सब्जी एक बार प्रतिदिन खाने से ह्रदय रोग में लाभ होता है। 

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