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महौषधि - सौंठ


अदरक व सौंठ हर मौसम में, हर घर के रसोई घर में प्रायः रहते ही हैं। इनका उपयोग घरेलू इलाज में किया जा सकता है। सौंठ दुनिया की सर्वश्रेष्ठवातनाशक औषधि है.  'जिंजर टिंक्चर' का प्रयोग एक प्रकार के मादक द्रव्य के नाते नहीं, वरन् उसकी वात नाशक क्षमता के कारण ही किया जाता है । यह शरीर संस्थान में समत्व स्थापित कर जीवनी शक्ति और रोग प्रतिरोधक सामर्थ्य को बढ़ाती है । हृदय श्वांस संस्थान से लेकर वात नाड़ी संस्थान तक यह समस्त अवयवों की विकृति को मिटाकर अव्यवस्था को दूर करती है । अरुचि, उल्टी की इच्छा होने पर, अग्नि मंदता, अजीर्ण एवं पुराने कब्ज में यह तुरंत लाभ पहुँचाती है । यह हृदयोत्तेजक है । जो ब्लड प्रेशर ठीक करती है तथा खाँसी, श्वांस रोग, हिचकी में भी आराम देती है । सौंठ में प्रोटिथीलिट इन्जाइम्स की प्रचुरता है । प्रोटिथीलिटिक एन्जाइम क्रिया के कारण ही यह कफ मिटाती है तथा पाचन संस्थान में शूल निवारण दीपन की भूमिका निभाती है । जीवाणुओं के ऊपर भी इसी क्रिया द्वारा तथा जीवनी शक्ति बढ़ाकर यह रक्त शोधन करती है ।
 बहुधा सौंठ तैयार करने से पूर्व अदरख को छीलकर सुखा लिया जाता है । परंतु उस छीलन में सर्वाधिक उपयोगी तेल (इसेन्शयल ऑइल) होता है, छिली सौंठ इसी कारण औषधीय गुणवत्ता की दृष्टि से घटिया मानी जाती है । वेल्थ ऑफ इण्डिया ग्रंथ के विद्वान् लेखक गणों का अभिमत है कि अदरक को स्वाभाविक रूप में सुखाकर ही सौंठ की तरह प्रयुक्त करना चाहिए । तेज धूप में सुखाई गई अदरक उस सौंठ से अधिक गुणकारी है जो बंद स्थान में कृत्रिम गर्मी से सुखाकर तैयार की जाती है । कई बार सौंठ को रसायनों से सम्मिश्रित कर सुन्दर बनाने का प्रयास किया जाता है । यह सौंठ दीखने में तो सुन्दर दिखाई देती है, पर गुणों की दृष्टि से लाभकर सिद्ध नहीं होती है । सुखाए गए कंद को 1 वर्ष से अधिक प्रयुक्त नहीं  किया जाना चाहिए । यदि इस बीच नमी आदि लग जाती है तो औषधि अपने गुण खो देती है । गर्म प्रकृति वाले लोगो के लिए सौंठ अनुकूल नहीं है.
  • सर्दियों में हर तीसरे दिन एक कप गर्म पानी में २ चुटकी पिसी सौंठ घोलकर पीने से मौसम का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता. बदलते मौसम की वजह से अगर खांसी, जुकाम या बुखार हो जाये तो दिन में 3-4 बार पिसी सौंठ को गुनगुने पानी में घोलकर पीने से किसी दवाई या अन्य इलाज की आवश्यकता नहीं रहती.
  • भोजन से पहले अदरक को चिप्स की तरह बारीक कतर लें। इन चिप्स पर पिसा काला नमक बुरक कर खूब चबा-चबाकर खा लें फिर भोजन करें। इससे अपच दूर होती है, पेट हलका रहता है और भूख खुलती है।
  • अदरक का एक छोटा टुकड़ा छीले बिना (छिलकेसहित) आग में गर्म करके छिलका उतार दें। इसे मुँह में रख कर आहिस्ता-आहिस्ता चबाते चूसते रहने से अन्दर जमा और रुका हुआ बलगम निकल जाता है और सर्दी-खाँसी ठीक हो जाती है।
  • सौंठ को पानी के साथ घिसकर इसके लेप में थोड़ा सा पुराना गुड़ और 5-6 बूँद घी मिलाकर थोड़ा गर्म कर लें। बच्चे को लगने वाले दस्त इससे ठीक हो जाते हैं। ज्यादा दस्त लग रहें हों तो इसमें जायफल घिसकर मिला लें।
  • अदरक का टुकड़ा छिलका हटाकर मुँह में रखकर चबाते-चूसते रहें तो लगातार चलने वाली हिचकी बन्द हो जाती है। 
  • अपच की शिकायत है तो हरड़ के चूर्ण को सौंठ के चूर्ण के साथ लें। खाना खाने के पहले इस चूर्ण का सेवन करने से भूख खुल कर लगती है। इसे हर, गुड़ या सेंधा नमक के साथ खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
  • बुढ़ापे में पाचन क्रिया कमजोर पड़ने लगती है. वात और कफ का प्रकोप बढ़ने लगता है. हाथो पैरो तथा शारीर के समस्त जोड़ो में दर्द रहने लगता है. सौंठ मिला हुआ दूध पीने से बुढ़ापे के रोगों से राहत मिलती है. 
  • सौंठ श्वास रोग में उपकारी है। इसका काढा बनाकर पीना चाहिये।
  • गैस होने पर पिसी सौंठ में स्वादानुसार नमक मिलकर गुनगुने पानी के साथ लेने पर आराम मिलता है. 


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