गठिया और संधि के रोगों की महा औषधि-संधिशूलहर पाक


संधिशूलहर पाक :-
लाभ :उत्तम वायुनाशक व हड्डियों को मजबूत करनेवाली मेथी, दोषों का पाचन करनेवाली सौंठ व जठराग्नि को प्रदीप्त करनेवाले द्रव्यों से बना यह पाक जोड़ों के दर्द, गृध्रसी (सायटिका), गठिया, गर्दन का दर्द (सर्वायकल स्पोंडीलोसिस), कमरदर्द तथा वायु के कारण होनेवाली हाथ-पैरों की ऐंठन, सुन्नता, जकडन आदि में अतीव गुणकारी है | सर्दियों में 40-60 दिन तक इसका सेवन कर सकते है | बल व पुष्टि के लिए निरोगी व्यक्ति भी इसका लाभ ले सकते है | प्रसूता माताओं के लिए भी यह खूब लाभदायी है | इससे गर्भाशय की शुद्धि व दूध में वृद्धि  होती है |
सामग्री : मेथी का आटा व सौंठ का चूर्ण प्रत्येक 50 ग्राम, देशी घी 150 ग्राम. मिश्री 650 ग्राम | प्रक्षेप द्रव्य – पीपर, सौंठ, पीपरामूल, चित्रक, जीरा, धनिया, अजवायन, कलौंजी, सौंफ, जायफल, दालचीनी, तेजपत्र एवं नागरमोथ प्रत्येक का चूर्ण 10-10 ग्राम व कलि मिर्च का चूर्ण 15 ग्राम |
विधि : मिश्री की एक तार की चाशनी बना लें | सौंठ को घी में धीमी आँच पर सेंक लें | जब उसका रंग सुनहरा लाल हो जाय, तब मेथी का आटा व चाशनी मिलाकर अच्छे से हिलायें | नीचे उतारकर प्रक्षेप द्रव्य मिला दे |
सेवन-विधि : 15-20 ग्राम पाक सुबह गुनगुने पानी के साथ ले |
सूचना : जोड़ों के दर्द में दही, टमाटर आदि खट्टे पदार्थ, आलू, राजमा, उडद, मटर व तले हए, पचने में भारी पदार्थ न खाये |

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