अमृत है बेलफ़ल




गर्मी के मौसम में गर्मी से राहत देने वाले फलों में बेल का फल प्रकृति मां द्वारा दी गई किसी सौगात से कम नहीं है | कहा गया है- 'रोगान बिलत्ति-भिनत्ति इति बिल्व ।' अर्थात् रोगों को नष्ट करने की क्षमता के कारण बेल को बिल्व कहा गया है ।बेल सुनहरे पीले रंग का, कठोर छिलके वाला एक लाभदायक फल है। गर्मियों में इसका सेवन विशेष रूप से लाभ पहुंचाता है। शाण्डिल्य, श्रीफल, सदाफल आदि इसी के नाम हैं। इसके गीले गूदे को बिल्व कर्कटी तथा सूखे गूदे को बेलगिरी कहते हैं।स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग जहाँ इस फल के शरबत का सेवन कर गर्मी से राहत पा अपने आप को स्वस्थ्य बनाए रखते है वहीँ भक्तगण इस फल को अपने आराध्य भगवान शिव को अर्पित कर संतुष्ट होते है |

औषधीय प्रयोगों के लिए बेल का गूदा, बेलगिरी पत्ते, जड़ एवं छाल का चूर्ण आदि प्रयोग किया जाता है। चूर्ण बनाने के लिए कच्चे फल का प्रयोग किया जाता है वहीं अधपके फल का प्रयोग मुरब्बा तो पके फल का प्रयोग शरबत बनाकर किया जाता है।

बेल व बिल्व पत्र के नाम से जाने जाना वाला यह स्वास्थ्यवर्धक फल उत्तम वायुनाशक, कफ-निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व दुर्गन्ध का नाश करते हैं। इनमें निहित उड़नशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। चतुर्मास में उत्पन्न होने वाले रोगों का प्रतिकार करने की क्षमता बिल्वपत्र में है।

बिल्वपत्र ज्वरनाशक, वेदनाहर, कृमिनाशक, संग्राही (मल को बाँधकर लाने वाले) व सूजन उतारने वाले हैं। ये मूत्र के प्रमाण व मूत्रगत शर्करा को कम करते हैं। शरीर के सूक्ष्म मल का शोषण कर उसे मूत्र के द्वारा बाहर निकाल देते हैं। इससे शरीर की आभ्यंतर शुद्धि हो जाती है। बिल्वपत्र हृदय व मस्तिष्क को बल प्रदान करते हैं। शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाते हैं। इनके सेवन से मन में सात्त्विकता आती है।

ये पेय गर्मियों में जहां आपको राहत देते हैं, वहीं इनका सेवन शरीर के लिए लाभप्रद भी है। बेल में शरीर को ताकतवर रखने के गुणकारी तत्व विद्यमान हैं। इसके सेवन से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि यह रोगों को दूर भगा कर नई स्फूर्ति प्रदान करता है।
 


  • अजीर्ण में बेल की पत्तियों के दस ग्राम रस में, एक-एक ग्राम काली मिर्च और सेंधानमक मिलाकर पिलाने से आराम मिल सकता है।
  • अतिसार के पतले दस्तों में ठंडे पानी से लिया ५-१० ग्राम बिल्व चूर्ण आराम पहुँचाता है। कच्चे बेल की कचरियों को धूप में अच्छी तरह सुखा लें या पंसारी से साफ़ छाँट ले आएँ। इन्हें बारीक पीस कपड़ाछान करके शीशी में भर लें। यही बिल्व चूर्ण है। छोटे बच्चों के दाँत निकलते समय दस्तों में भी यह चुटकी भर चटा दें।
  • आँखें दुखने पर पत्तों का रस, स्वच्छ पतले वस्त्र से छानकर एक-दो बूँद आँखों में टपकाएँ। दुखती आँखों की पीड़ा, चुभन, शूल ठीक होकर, नेत्र ज्योति बढ़ेगी।
  • जल जाने पर बिल्व चूर्ण, गरम किए तेल को ठंडा करके पेस्ट बना लें। जले अंग पर लेप करने से फौरन आराम आएगा। चूर्ण न होने पर बेल का पक्का गूदा साफ़ करके भी लेपा जा सकता है।
  • पाचन तंत्र में खराबी के कारण आंव आने लगती है, जो कुछ ही समय में रोगी को दुर्बल-असक्त बना देती है। ऐसे में बेलगिरी और आम की गुठली की गिरी बराबर मात्रा में कूट-छान लें। आधा ग्राम चूर्ण सुबह चावल की माड के साथ सेवन करें। आधा ग्राम यह चूर्ण पहले दिन दो-दो घंटे बाद चार बार, दूसरे दिन सुबह-दोपहर और तीसरे दिन सिर्फ़ सुबह लें। आंव बन्द हो जाने पर चूर्ण न लें।
  • कब्ज से पेट-सीने में जलन रहने पर पचास ग्रामा गूदे में, पच्चीस ग्राम पिसी हुई मिश्री और ढ़ाई सौ ग्राम जल मिलाकर शर्बत बना लें। रोज़ पीने से कब्ज़ नष्ट होकर, चेहरे पर ओज आएगा।
  • छाती में जमे कफ से तेज़ खाँसी उठती है। रोगी रातभर सो नहीं पाता। इसमें सौ ग्राम बेल गूदा आधा किलो पानी में हल्की आँच में पकायें। तीन सौ ग्राम रह जाने पर उतार कर छान लें। एक किलो मिश्री की एक तार चासनी बनाकर इसमें मिलाएँ। एक रती भर केसर और थोड़ी जावित्री डालकर इसे सुगंधित और पुष्टिकर बना लें। गुनगुना घूँट-घूँट कर पिएँ। सर्दियों में इस्तेमाल करने से कफ इकठ्ठा नहीं होगा।
  • दमा में कफ निकालने के लिए बेल की पत्तियों का काढ़ा दस-दस ग्राम सुबह-शाम शहद मिला कर पिएँ। अथवा पाँच ग्राम रस में पाँच ग्राम सरसों का शुद्ध तेल मिला कर पिलाएँ।
  • पचास ग्राम सूखे बेल पत्तों का चूर्ण, तीन ग्राम मात्रा में एक चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम देने अथवा पक्के गूदे में थोड़ी मलाई मिलाकर खाने से मूत्र और वीर्य दोष नष्ट होते हैं।
  • ल्युकोरिया में बेलगिरी रसौत और नागकेसर समान मात्रा में कूट-पीस कर कपड़े से छान लें पाँच ग्राम चूर्ण, चावल के मांड के साथ दिन में दो या तीन बार दें।
  • पीलिया में बेल की कोंपलों का पचास ग्राम रस, एक ग्राम पिसी काली मिर्च मिलाकर सुबह-शाम पिलाएँ। शरीर में सूजन भी हो तो पत्र रस तेल की तरह मलिए।
  • सौ ग्राम पानी में थोड़ा गूदा उबालें, ठंडा होने पर कुल्ले करने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं।
  • रक्त शुद्धि के लिए बेलवृक्ष की पचास ग्राम जड़, बीस ग्राम गोखरू के साथ पीस-छान लें। सुबह एक छोटा चम्मच चूर्ण आधा कप खौलते पानी में घोंलें। मिश्री या शहद मिला कर गरमा-गरम घूँट भरें। कुछ ही दिनों में लाभ दिखाई देने लगेगा।
  • सिर दर्द में बेल पत्र के रस से भीगी पट्टी माथे पर रखें। पुराना सर दर्द होने पर ग्यारह पत्तों का रस निकाल कर पी जाएँ। गर्मियों में इसमें थोड़ा पानी मिला ले। कितना ही पुराना सर दर्द ठीक हो जाएगा।
  • मोच अथवा अन्दरूनी चोट में बेल पत्रों को पीस कर थोड़े गुड़ में पकाइए। इसे थोड़ा गर्म पुल्टिस बन पीडित अंग पर बाँध दें। दिन में तीन-चार बार पुल्टिस बदलने पर आराम आ जाएगा।

  • गर्मियों में लू लगने पर इस फल का शर्बत पीने से शीघ्र आराम मिलता है तथा तपते शरीर की गर्मी भी दूर होती है।
  • पुराने से पुराने आँव रोग से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन अधकच्चे बेलफल का सेवन करें।
     
  • पके बेल में चिपचिपापन होता है इसलिए यह डायरिया रोग में काफी लाभप्रद है। यह फल पाचक होने के साथ-साथ बलवर्द्धक भी है।
     
  •  पके फल के सेवन से वात-कफ का शमन होता है।
  •  आँख में दर्द होने पर बेल के पत्त्तों की लुगदी आँख पर बाँधने से काफी आराम मिलता है।
  •  कई मर्तबा गर्मियों में आँखें लाल-लाल हो जाती हैं तथा जलने लगती हैं। ऐसी स्थिति में बेल के पत्तों का रस एक-एक बूँद आँख में डालना चाहिए। लाली व जलन शीघ्र दूर हो जाएगी।
  •  बच्चों के पेट में कीड़े हों तो इस फल के पत्तों का अर्क निकालकर पिलाना चाहिए।
  •  बेल की छाल का काढ़ा पीने से अतिसार रोग में राहत मिलती है।
  •  इसके पके फल को शहद व मिश्री के साथ चाटने से शरीर के खून का रंग साफ होता है, खून में भी वृद्धि होती है।
  •  बेल के गूदे को खांड के साथ खाने से संग्रहणी रोग में राहत मिलती है।
  •  पके बेल का शर्बत पीने से पेट साफ रहता है।
  •  बेल का मुरब्बा शरीर की शक्ति बढ़ाता है तथा सभी उदर विकारों से छुटकारा भी दिलाता है।
  •  गर्मियों में गर्भवती स्त्रियों का जी मिचलाने लगे तो बेल और सौंठ का काढ़ा दो चम्मच पिलाना चाहिए।
  •  पके बेल के गूदे में काली मिर्च, सेंधा नमक मिलाकर खाने से आवाज भी सुरीली होती है।
  • छोटे बच्चों को प्रतिदिन एक चम्मच पका बेल खिलाने से शरीर की हड्डियाँ मजबूत होती हैं।













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